कारण क्यों?

हो तुम व्यग्र, कि हूँ क्यों मै सानंद
और क्यों हूँ मै उत्सव मनाता
खोजते प्रयोजन मेरे उत्साह का
और क्यों हूँ मै गीत गाता

मित्र, है आभाव कारणों का
और रिक्त है तर्क का खाता
तुम दोस्त हो मेरे, है पर्याप्त यही
बस, मै हर्षता और मुस्कुराता!
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