आख़िर क्या चाहिए?


दौलत नहीं,
शोहरत नहीं,
ना ही “वाह” चाहिए,
     “कैसे हो”
     बस दो लफ़्ज़ों की
     परवाह चाहिए


चंदन की सी
ख़ुशबू
ख़ुशगवार चाहिए
     तेरी ओर से
     बहने वाली
     हवा चाहिए


इश्क़ में पूरी
होनी मेरी
चाह चाहिए
     ज़्यादा से ज़्यादा “तू”
     और कम से कम
     “खुदा” चाहिए


है सौदा दिलों का,
फिर सिक्का तो
खरा चाहिए
     तू ही तू मंजूर
     ना कोई तेरी
     तरह चाहिए

<<  संघर्ष – निष्कर्ष दुरभिसन्धि!  >>

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दुरभिसन्धि
आख़िर क्या चाहिए?
संघर्ष – निष्कर्ष
छल का शिकार
बारिश और अतीत
भय संग्राम
वो चेहरा
सभ्यता की मै कठपुतली
दर्द
कारण क्यों?
नव वर्ष

बारिश और अतीत

होती जब है ज़ोर से बारिश
है उठती मिट्टी की गंध
दौड़ आतीं बचपन की यादें
वर्तमान हो जाता मंद

है बारिश का अतीत से
कुछ तो गहरा ही संबंध
बीता वो हर पल करे
भविष्य प्रेरणा का प्रबंध

बेफिक्री का रस पीकर
निश्चिंत होकर भीगना
अभिव्यक्ति का एक ही उपाय
गला फाड़कर चीखना

सहसा पर क्या यह हुआ
ठहर गया अंदर का तेज
है क्या बदला तब से अब तक
हुआ उत्साह से ही परहेज

भावनाओं को दे लगाम
हर्ष को कर के सीमाबद्ध
खर्चे श्वास अंधा धुन्ध
योजना कर दी खुशी की रद्द

करना प्यार नमी से ही है
आँसू क्यों, बारिश ही चुनू
पुनः बनू बालक मै सरल
पुनः मै अपनी चीख सुनू
<<  भय संग्राम छल का शिकार  >>
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बारिश और अतीत
भय संग्राम
वो चेहरा
सभ्यता की मै कठपुतली
दर्द
कारण क्यों?
नव वर्ष

भय संग्राम

कभी गवा देने का डर
कभी ना प्राप्ति का अंदेशा
चकित और सहमा सा है
मेरा हर रोम मेरा हर रेशा

किसी जेष्ठ के ऊँचे आदेश
तो कभी जगत का बंदोबस्त
मर सा रहा है मेरा स्वयं
उमंगों का हो रहा है अस्त

है यह जगत की चालाकी
या मेरा ही दुर्बल निश्चय
कि रखता हर कदम डर के
नही वश मे मेरे, मेरा ही समय

जकड़ता मुझे विफलता का डर
पकड़ता मुझे तानो का असर
निपुणता की आस मे हूँ बैठा निकम्मा
अशुद्धि की रहे ना कोई कसर

है क्या मेरा अलग अस्तित्व?
हो क्या मेरा अनूठा गंतव्य?
दर्पण खड़ा लिए प्रश्न प्रबल
क्या है मेरे जीवन का लक्ष्य?

तोड़ दूँ बंधन मै समस्त
तो होगा क्या सरल व्यवहार?
हूँ पर विवश इस चिंतन से
यह भी डर का है विस्तार

बटोर के साहस खोजूं अब मै
जो है सार्थक भीतर मेरे
श्रेष्ठ हो जो मुझसे ही
जिसे हो नहीं कोई भय घेरे

रहा है व्यतीत हो मुझे धीरे धीरे
कदाचित भय नही कोई धोका
विजयी यदि होना है यताक्रम
इसे मानूं अवसर इसे मानूं मौका
<<  वो चेहरा बारिश और अतीत  >>
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