रहे अनन्यता अविजित
बटोर के वर्त्तमान का मनोरथ
निर्मित करें नए क्षितिज
ध्येय पूर्ति का आधार हो
सत्य एवं निष्ठा का आदर्श
कर्म ऐसे हों अर्थपूर्ण
जो करें जन-साधारण को स्पर्श
कुंठित अभिलक्षण करें तीव्र
बने तीक्ष्ण एवं सचेत
छोड़ सुविधा, चुने मार्ग कठिन
शीतल बर्फ या हो तप्त रेत
स्पंदित करके चेतना
भरके ह्रदय मे हर्ष
प्रवेश करें उस मंडल मे
जिसे कहते हैं नया वर्ष
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