बारिश और अतीत

होती जब है ज़ोर से बारिश
है उठती मिट्टी की गंध
दौड़ आतीं बचपन की यादें
वर्तमान हो जाता मंद

है बारिश का अतीत से
कुछ तो गहरा ही संबंध
बीता वो हर पल करे
भविष्य प्रेरणा का प्रबंध

बेफिक्री का रस पीकर
निश्चिंत होकर भीगना
अभिव्यक्ति का एक ही उपाय
गला फाड़कर चीखना

सहसा पर क्या यह हुआ
ठहर गया अंदर का तेज
है क्या बदला तब से अब तक
हुआ उत्साह से ही परहेज

भावनाओं को दे लगाम
हर्ष को कर के सीमाबद्ध
खर्चे श्वास अंधा धुन्ध
योजना कर दी खुशी की रद्द

करना प्यार नमी से ही है
आँसू क्यों, बारिश ही चुनू
पुनः बनू बालक मै सरल
पुनः मै अपनी चीख सुनू
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6 thoughts on “बारिश और अतीत

  1. बहुत बढ़िया दलजीत भाई !!
    सच में बहुत बढ़िया – तबियत खुश कर दी यार. लगता है जैसे मेरे मन की बात तुमने अपने शब्दों में लिखे डाली है !!

      1. aतीसुंदर कविता …i chose ds one to read first because i love बारिश ..n जुडी हुयी यादे 🙂

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