कारण क्यों?

हो तुम व्यग्र, कि हूँ क्यों मै सानंद
और क्यों हूँ मै उत्सव मनाता
खोजते प्रयोजन मेरे उत्साह का
और क्यों हूँ मै गीत गाता

मित्र, है आभाव कारणों का
और रिक्त है तर्क का खाता
तुम दोस्त हो मेरे, है पर्याप्त यही
बस, मै हर्षता और मुस्कुराता!
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कारण क्यों?
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6 thoughts on “कारण क्यों?

  1. Abhinandan ! Mere utsah aur utsav ka ‘Karan Kyon’ aapne bahut acchhe prakar se sambodhit kiya hai! Aapki kavya-pratibhavilas ke liye Haardik Shubh-kamnaye!!!

  2. Dear Daljeet,
    Wow !
    Your talent and versatility is commendable
    Congrats on your endeavor and best wishes always
    mahesh

  3. lovely poem, although i cannot understand few words..like they are very typical in hindi…. but keep the good work going…

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